समाधि का लगना या टूटना
मैं नही जानता,
टूथपेस्ट, ब्लेड, साबुन,
तौलिया और इसी तरह की कई छोटी मोटी चीज़ें
मेरे आगे पीछे घूमती रहती हैं
एक के बाद एक,
मैं जहाँ हूं वहाँ आसमान नहीं होता
होती है पिटी पिटाई छत
और छत से बाहर जाने के पहले
इन छोटी मोटी चीजों से उलझना होता है
मुक्ति का मार्ग ढूंढने के लिए
अखबार का सहारा लेना
रेडियो के स्विच ऑन करना
दूरदर्शन पर हो रहे उलटे सीधे हलचलों में रमना
यह सब कुछ विफल हो जाता है
तुम्हारे जाने के बाद।
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