
आग जिंदगी देती है
जिंदगी को ऊष्मा देती है
ऊष्मा को उसकी पराकाष्ठा बताती है
और जिंदगी को उसकी नियति देती है,
आग जिंदगी को उसकी नियति देती है,
आग जिंदगी देती है
खाने से लेकर
जिंदगी के बर्फीले क्षणों के गुजारने तक में
अपनी भूमिका निभाती है,
आग जब बाहर होती है आदमी से
तो रोशनी देती है
आग जब भीतर होती है आदमी के
जिंदगी को ऊष्मा देती है
ऊष्मा को उसकी पराकाष्ठा बताती है
और जिंदगी को उसकी नियति देती है,
आग जिंदगी को उसकी नियति देती है,
आग जिंदगी देती है
खाने से लेकर
जिंदगी के बर्फीले क्षणों के गुजारने तक में
अपनी भूमिका निभाती है,
आग जब बाहर होती है आदमी से
तो रोशनी देती है
आग जब भीतर होती है आदमी के
तो सड़े गले तन्तुओं को भस्म कर
एक नई संरचना खड़ी करती है
आग धरती से उठकर
पानी में लगती है
पानी से निकल कर
मन में लगती है
और तब यह दुनियाँ
हिलती है, डोलती है
और धराशयी होती है।
एक नई संरचना खड़ी करती है
आग धरती से उठकर
पानी में लगती है
पानी से निकल कर
मन में लगती है
और तब यह दुनियाँ
हिलती है, डोलती है
और धराशयी होती है।
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