
हँसिया या दिखने वाला चाँद
इधर मुटिया कर गोल हो गया है
हँसिया से खेलता और फिर जूझता
मेरा गोल मटोल बेटा
आँत के पीठ में सट जाने से
हँसिया या दीखने लगा है
कभी मैंने अपनी आंतों में
दाँत जामने की कल्पना की थी
शायद मेरा बेटा भी
तीसरे पहर भूख की तिलमिलाहट में
ऊपर आकाश की ओर देखकर
ऐसा ही सोचता है।
पीढ़ियों से आता हुआ यह सोच
हमें सिर्फ हँसिया ही बनता रहेगा
या हमारी कुलबुलाती आँतों में
हँसिया जैसे दाँत भी पैदा करेगा ?
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